राहुल गांधी: एक राजनीतिक यात्रा (2025 तक)

राहुल गांधी: एक राजनीतिक यात्रा (2025 तक)

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
राहुल गांधी का जन्म 19 जून 1970 को नई दिल्ली में हुआ, भारत के सबसे प्रभावशाली राजनीतिक परिवारों में से एक में। वह राजीव गांधी और सोनिया गांधी के बेटे, इंदिरा गांधी के पोते, और जवाहरलाल नेहरू के परपोते हैं। उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ, राहुल ने अपने शुरुआती साल दिल्ली और देहरादून में बिताए, जहाँ उन्होंने दून स्कूल में पढ़ाई की।

1990 के दशक में, उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई शुरू की, लेकिन 1991 में अपने पिता की हत्या के बाद सुरक्षा कारणों से ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज चले गए, जहाँ से उन्होंने इकोनॉमिक्स में डिग्री हासिल की। इसके बाद, उन्होंने लंदन के मॉनिटर ग्रुप के साथ काम किया, एक मैनेजमेंट कंसल्टेंट के रूप में।

राजनीति में प्रवेश (2004-2014)
2004 में, राहुल ने अपने पारिवारिक गढ़ अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता। उन्होंने यूपीए सरकार में युवाओं और महिलाओं के लिए काम किया, लेकिन मंत्री पद से इनकार कर दिया। 2007 में, उन्हें कांग्रेस का महासचिव बनाया गया, और 2009 में उन्होंने अमेठी से दोबारा जीत हासिल की।

हालाँकि, 2014 के चुनावों में कांग्रेस की भारी हार के बाद, राहुल की आलोचना हुई, लेकिन उन्होंने पार्टी के पुनर्निर्माण की जिम्मेदारी ली।

कांग्रेस अध्यक्ष और विपक्ष का नेतृत्व (2017-2024)
दिसंबर 2017 में, राहुल कांग्रेस के अध्यक्ष बने। 2019 के चुनावों में फिर हार के बावजूद, उन्होंने पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए “भारत जोदो यात्रा” (2022) शुरू की, जिसने हिमाचल प्रदेश (2022) और कर्नाटक (2023) में कांग्रेस की जीत में अहम भूमिका निभाई।

इसी जोश के साथ, राहुल ने 14 जनवरी 2024 को “भारत जोदो न्याय यात्रा” शुरू की, जो मणिपुर से मुंबई तक चली और मार्जिनलाइज्ड समुदायों के लिए न्याय पर केंद्रित थी।

2024 के लोकसभा चुनावों में, राहुल ने वायनाड (केरल) और रायबरेली (यूपी) दोनों सीटों से जीत हासिल की। उन्होंने रायबरेली को रखा, जबकि प्रियंका गांधी ने वायनाड से चुनाव लड़ा। 26 जून 2024 को, वे लोकसभा में विपक्ष के नेता बने और जाति जनगणना, अग्निपथ योजना की आलोचना और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा जैसे मुद्दों पर मोदी सरकार के खिलाफ मुखर हुए।

विवाद और चुनौतियाँ
राहुल के करियर में कई विवाद रहे हैं। मार्च 2023 में, एक सूरत की अदालत ने उन्हें 2019 के एक बयान (“चोरों के सरनेम मोदी क्यों होते हैं?”) के लिए दो साल की सजा सुनाई, जिससे उनकी सांसदी जाती रही। हालाँकि, अगस्त 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी।

नेशनल हेराल्ड मामले में भी उन पर आरोप लगे, जिसे उन्होंने राजनीतिक प्रतिशोध बताया। “पप्पू” जैसे टैग्स का सामना करते हुए, राहुल ने इन चुनौतियों को जनता से जुड़ने के अवसरों में बदला।

विचारधारा और व्यक्तिगत जीवन
राहुल नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय पर जोर देते हैं। वे महिला अधिकारों, गरीबों के लिए आर्थिक नीतियों (जैसे NYAY योजना), और हिंदुत्व अतिवाद की आलोचना के हिमायती हैं।

निजी जीवन में वे शांतिप्रिय, पढ़ाकू और फिटनेस के शौकीन हैं। उनकी प्रियंका और सोनिया गांधी के साथ गहरी बॉन्डिंग है।

2025 में राहुल गांधी
26 मार्च 2025 तक, राहुल गांधी विपक्ष के नेता के रूप में मोदी सरकार को चुनौती दे रहे हैं। उनकी कोशिशें विपक्षी एकता (INDIA ब्लॉक) और जन-केंद्रित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती हैं। क्या वे कांग्रेस की कमान संभालेंगे या प्रधानमंत्री पद की ओर बढ़ेंगे, यह भविष्य के गर्भ में है।

उनकी विरासत अभी लिखी जा रही है—एक ऐसा नेता जो भारत के अतीत और भविष्य के बीच सेतु बनने की कोशिश कर रहा है।

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